उमा भारती की यात्रा को लेकर टकराव के आसार
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेत्री उमा भारती की यात्रा के कारण यात्रा समर्थकों और विरोधियों के बीच टिहरी जिले में टकराव के आसार नजर आ रहे हैं। जहां भाजपा कार्यकर्ता चंबा में उमा भारती की सभा करने पर अड़े हैं वहीं उत्तराखंड जनमंच सुश्री उमा भारती की यात्रा को रोकने पर आमादा है। दोनों पक्षों के अड़ियल रवैये को देखते हुए खुफिया पुलिस ने राज्य सरकार को आगाह कर दिया है। बताया जा रहा है कि जिले के आला अफसर हालात पर नजर रखने के लिए 25 अक्तूबर को चंबा में मौजूद रहेंगे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि उमा भारती की यात्रा में बाधा डालने पर उत्तराखंड जनमंच कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
उत्तराखंड में जलविद्युत और सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण को रोके जाने की मांग को लेकर गंगासागर से गंगोत्री की यात्रा पर निकली उमा भारती 25 अक्तूबर को मुनिकीरेती और नरेंद्रनगर में पनबिजली प्रोजेक्टों के खिलाफ जनसंपर्क करेंगी। शाम को छह बजे वह चंबा में जनसभा में बोलेंगी तथा सात बजे भगीरथी पुरम में गंगा आरती करेंगी। उनकी यात्रा के लिए राज्य सरकार ने सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए हैं। मुनिकीरेती से चंबा के रास्ते में उनके संभावित विरोध को देखते हुए सुश्री भारती के काफिले को विशेष सुरक्षा दी जाएगी। उनके साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहेंगे। राज्य सरकार ने यात्रा के दौरान उमा भारती के आतिथ्य के लिए हर प्रकार के इंतजाम किए हैं। लेकिन उत्तराखंड जनमंच ने उमा भरती और आरएसएस के इस साझा अभियान को उत्तराखंड विरोधी करार देते हुए कहा है कि उमा भारती गंगा और उसकी सहायक नदियों पर यूपी-बिहार का कब्जा कराना चाहती हैं।सुश्री भारती की यात्रा पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे जनमंच ने चंबा में उनका विरोध करने का ऐलान किया है जबकि भाजपा,आरएसएस और उत्तरांचल उत्थान परिषद के कार्यकर्ता चंबा में सभा कराने पर अड़े हैं। भाजपा नेताओं ने जनमंच को चेतावनी दी है कि वह उमााभारती की यात्रा से दूर रहे। यात्रा समर्थकों और यात्रा विरोधियों की इस तनातनी से इस पहाड़ी कस्बे में तनाव है और लोग टकराव की संभावना से आशंकित हैं। चंबा की सर्द हवाओं में यात्रा समर्थकों और विरोधियों के प्रचार से गरम हैं। उत्तराखंड जनमंच द्वारा बांटे जा रहे पर्चे में कहा गया है कि उमा भारती समग्र गंगा के नाम पर जल पर उत्तराखंड के अधिकारों कों केंद्र सरकार और यूपी के हवाले करना चाहती हैं। जनमंच का कहना है कि यदि उमा भारती कामयाब हुई तो उत्तराखंड में बिजली तो दूर पेयजल योजना बनाने के लिए भी केंद्र से अनुमति लेनी पड़ेगी। जनमंच का कहना है कि बिजली न बनने से राज्य में राज्य के छह लाख बेरोजगार युवाओं को कभी रोजगार नहीं मिलेगा। जनमंच के पर्चे का असर चंबा और उसके इर्दगिर्द हाता दिख रहा है। अधिकांश ग्रामीण और युवा उमा भारती की यात्रा के विरोध में हैं। आम लोगों में यह धारणा मजबूत हो रही है कि लोहारीनागपाला,पालामनेरी और भैरोंघाटी प्रोजेक्ट भी उमा भारती और उनके साथियों के कारण बंद हुए। इसके कारण चंबा कस्बे में यात्रा के खिलाफ माहौल बन रहा है। दोनों पक्षों के रुख को देखते हुए खुफिया एजेंसियों ने टकराव की संभावना से राज्य सरकार को आगाह कर दिया है। खुफिया एजेंसियों ने राज्य सरकार को सतर्क कर दिया है। उधर कांग्रेसी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने टिहरी जिले के डीएम और एसपी को सीधे निर्देश दिए हैं कि वे उत्तराखंड जनमंच के कार्यकर्ताओं से सख्ती से पेश आयें।
उधर क्षेत्रीय राजनीति में कांग्रेस और भाजपा का धुर विरोधी संगठन की पहचान बना रहे जनमंच के नेता भी सरकार द्वारा दमन किए जाने की आशंका पहले ही व्यक्त कर चुके हैं। जनमंच के नताओं का कहना है कि उमा भारती और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। उन्होने आरोप लगाया है कि उमा भारती दरअसल प्रधानमंत्री के उसी एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं जिसके तहत केंद्र सरकार ने लोहारीनागपाला प्रोजेक्ट पर रोक लगाकर उत्तरकाशी को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया था।
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