शुक्रवार, 4 मई 2012

Uttrakhand News: Jagudi, Kaushal and Prof A.N. Purohit to surrender their Padamshri


       
                    


         स्वतंत्रता दिवस को पद्मश्री वापस लौटायेंगे उत्तराखंड की हस्तियां
                


          बिजली परियोजनाओं को बंद करने के विरोध ने तूल पकड़ा
Avadhesh Kaushal, renowned social worker, Eminent Hindi Poet Liladhar Jagudi and Secretary General Uttrakhand Janmanch Rajen Todariya addressed a joint Press Conference in Dehradun

                                                                                                   


                                                                             
जीडी अग्रवाल द्वारा पहाड़ में सभी बिजली परियोजनाओं को बंद करने के अल्टीमेटम दिए जाने की उत्तराखंड में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। उत्तराखंड जनमंच और परियोजना बचाओ संघर्ष समिति समेत कई संगठनों ने इसकी निंदा करते हुए राज्य में उत्तराखंड आंदोलन जैसे बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।प्रख्यात हिंदी कवि लीलाधर जगूड़ी,समाजसेवी अवधेश कौशल और प्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी ए0एन0 पुरोहित ने राज्य में पनबिजली परियोजनायें बंद करने के विरोध में पद्मश्री वापस लौटाने की मांग की है। इन हस्तियों ने केंद्र सरकार को 14 अगस्त की डेडलाइन देते हुए कहा है कि यदि तब तक बंद पड़ी बिजली परियोजनायें शुरु नहीं की गई तो वे 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन पद्मश्री सरकार को लौटा देंगे। जनमंच ने साहित्य,समाज,विज्ञान,कला से जुड़ी राज्य की सभी हस्तियों से अपील की है कि वे पनबिजली परियोजनाओं को रोक कर उत्तराखंड के विकास को अवरूद्ध करने वाले सरकारी फैसलों के विरोध में अपने सम्मान वापस लौटायें।
आज यहां रूलेक के सभागार में एक पत्रकार सम्मेलन में बोलते हुए प्रख्यात हिंदी कवि लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि जो लोग धर्म की आड़ में पनबिजली परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं वे पाखंडी हैं। उन्होने कहा कि यदि ऐसे फर्जी संतों की धमकी के आगे केंद्र सरकार घुटने टेक कर राज्य की पनबिजली परियोजनाओं को बंद करने का निर्णय लेती है तो इसका राज्य भर में जबरदस्त विरोध होगा। उन्होने कहा कि समाजसेवी अवधेश कौशल, प्रसि़द्ध हिमालय विज्ञानी प्रो0 ए0एन पुरोहित और वह पनबिजली प्रोजेक्ट बंद किए जाने के विरोध में पद्मश्री वापस लौटायेंगे। उन्होने कहा कि यदि 14 अगस्त तक बंद पड़ी पनबिजली परियोजनायें शुरु नहीं की गईं तो 15 अगस्त को उत्तराखंड के प्रमुख हस्तियां सरकारी उपाधियां वापस लौटा देंगी। उन्होने कहा  िकइस बारे में जल्द ही एक पत्र. राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। इस पत्र में राज्य की पनबिजली परियोजनायें बंद करने के विरोध के बारे में इन्हे अवगत कराया जाएगा। उन्होने साधुसंतों से अपील की कि वे उत्तराखंड के विकास में बाधक न बनें। उन्होने कहा कि आस्था के नाम फलाया जा रहा अंधविश्वास खतरनाक है। पत्रकार सम्मेलन में बोलते हुए उत्तराखंड जनमंच के प्रमुख महासचिव राजेन टोडरिया ने कहा कि जनमंच पूरे राज्य में इस मुद्दे पर जनमत तैयार करेगा ताकि उ त्तराखंड आंदोलन की तरह व्यापक जनांदोलन छेड़ा जा सके। उन्होने कहा कि गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा को अपवित्र और प्रदूषित करने वाले आश्रमों के खिलाफ यदि प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कार्रवाई नहीं की तो जनमंच विभागीय अफसरों का घेराव करेगा। उन्होने मांग की कि राज्य सरकार तत्काल गंगा से दो सौ मीटर के दायरे में बने सभी आश्रमों को फौरन ध्वस्त करे। उन्होने ऐलान किया कि पनबिजली परियोजनाओं का विरोध कर रहे साधुसंतों को उत्तराखंड में नहीं घुसने दिया जाएगा।राजेन टोडरिया ने राज्य सरकार से मांग की है कि सभी आश्रमों को व्यावसायिक दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाय तथा उनसे होटलों की तरह सुखसाधन कर वसूल किया जाय। अवधेश कौशल,लीलाधर जगूड़ी और राजेन टोडरिया ने सभी दलों,संगठनों और व्यक्तियों को उत्तराखंड विरोधी इस अभियान के खिलाफ संयुक्त आंदोलन चलाने की अपील की है।

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