टकराव की ओर अग्रवाल समर्थक और विरोधी
उत्तराखंड जनमंच ने 08 मई को देहरादून के होटल कमला पैलेस में जीडी अग्रवाल समर्थकों की बैठक पर तीखी नाराजगी व्यक्त करते हुए बैठक स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। जनमंच ने कहा है कि बाहरी और विदेशी ताकतों के एजेंटों को राज्य विरोधी गतिविधियां चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।जनमंच ने कहा है कि इस प्रदर्शन में पीपलकोटी प्रोजेक्ट बचाओ संघर्ष समिति और लोहारीनाग पाला परियोजना समिति समेत कई संगठनों के कारर्यकर्ता और प्रतिनिधि इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। जनमंच ने पहाड़ और उसके निवासियों के हित में लड़ने वाले सभी लोगों से आठ मई को होटल कमला पैलेस मे आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने की अपील की है।
उत्तराखंड जनमंच के कार्यकारी अध्यक्ष एसबी भट्ट ने यहां जारी एक प्रेस बयान में कहा है कि जनमंच को पता चला है कि उक्त बैठक केंद्र सरकार द्वारा संचालित महिला समाख्या द्वारा आहूत की गई हे। इसमें जीडी अग्रवाल के कुछ समर्थकों बुलाया गया है। ये चंद लोगों एकत्र कर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि जीडी अग्रवाल कीे उत्तराखंड विरोधी मुहिम को उत्तराखंड में भी समर्थन हासिल है। प्रेस बयान में कहा गया है कि यह जीडी अग्रवाल के प्रोपेगेंडा का हिस्सा है। इसीलिए इस बैठक को जीडी अग्रवाल समर्थक गैर सरकारी संगठनों के जरिये न बुलाकर भारत सरकार की मदद से चलने वाली एजेंसी महिला समाख्या के जरिये बुलाया गया है। भट्ट ने कहा है कि उत्तराखंड जनमंच इस बैठक का विरोध करेगा । जीडी अग्रवाल जल और जंगल पर उत्तराखंड की जनता के अधिकारों के खिलाफ अभियान छेड़ने वाले व्यक्तियों को उत्तराखंड से राजनीतिक गतिविधियां संचालित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। जनमंच नें दो टूक शब्दों में कहा है कि जीडी अग्रवाल राजेंद्र सिंह,गोविंदाचार्य, मेनका गांधी को उत्तराखंड में नहीं घुसने दिया जाएगा।
उन्होने कहा कि राज्य में एक बड़ा जनमत जीडी अग्रवाल के खिलाफ बन रहा है और उत्तराखंड जनमंच की पहल पर दो हस्तियों ने पद्मश्री वापस लौटाने का ऐलान कर इस जनमत को साबित भी कर दिया है। जनमंच ने कहा है कि उत्तराखंड जनमंच की प्रदेश कार्यकारिणी ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रख्यात हिंदी कवि,चिंतक लीलाधर जगूड़ी और अवधेश कौशल के निर्णय का स्वागत किया है। राज्य की जनता इनकी ऋणी है। जनमंच ने कहा है कि वह राज्य में विभिन्न स्थानों पर इन दोनो हस्तियों के नागरिक अभिनंदन करने को समारोह आयोजित करेगा। उन्होने कहा कि आज जब उत्तराखंड के युवा,महिलायें और आम लोग निराश हैं तब इन बुद्धिजीवियों ने राज्य को रास्ता दिखाया है। एसबी भट्ट ने कहा कि इन दोनो हस्तियों ने बताया है कि पद्मश्री उनकी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है बल्कि लोक कल्याण के लिए है। जनमंच ने सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्ट, शेखर पाठक, डा0 जैन समेत सभी पद्मश्री एवं पद््मविभूषण धारक हस्तियों से आग्रह किया है कि वे भी अपनी पहाड़ की पनबिजली प्रोजेक्टों में बाहरी हस्तक्षेप और गंगा बेसन अथाॅरिटी में पहाउ़ की उपेक्षा किए जाने के विरोध में अपनी उपाधियां वापस लौटायें। जनमंच ने कहा है कि इन हस्तियों को चाहिए कि वे इन उपाधियों का प्रयोग लोक कल्याण और पहाड़ के लोगों की लड़ाई में करें। जनमंच ने पूर्व सैनिक अधिरकारियों से अपील की है कि वे भी पहाड़ की उपेक्षा के विरोध में अपने गैलेंटरी अवार्ड राष्ट्रपति को वापस लौटा दें। उन्होने कहा कि खिलाड़ी भी अर्जुन अवार्ड लौटाकर पूरे राज्य में वैसा ही वातावरण बनाने के लिए आगे आयें जैसा 1994 में उत्तराखंड आंदोलन के समय था।
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