कैबिनेट की बैठक में हरक का हंगामा
मुख्यमंत्री और कोटिया पर जमकर बरसे कृषिमंत्री
एस0राजेन टोडरिया
उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक आज अभूतपूर्व हंगामें की गवाह बन गई। कृषिमंत्री हरक सिंह रावत ने आज जमकर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की क्लास ली और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव दिलीप कुमार कोटिया को लगातार एक्सटेंशन देने को लेकर कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री पर ही हल्ला बोल दिया। सूत्रों के अनुसार हरक सिंह रावत इस बात से बेहद नाराज थे कि दिलीप कुमार कोटिया उनका फोन उठाना तक गवारा नहीं करते थे। कई दिनों तक कोटिया की इस हिमाकत को बरदाश्त कर रहे हरक सिंह का गुस्सा कैबिनेट की बैठक में फट पड़ा। दरअसल मुख्यमंत्री के पुत्र साकेत बहुगुणा की किचन कैबिनेट के अहम सदस्य दिलीप कोटिया कई मुख्यमंत्रियों के मुंहलगे नौकर रहे हैं। कोटिया के बारे में आम तौर पर यह प्रमुख शिकायत रही है कि वह अपने सरकारी फोन कभी नहीं उठाते। कोटिया के बारे में यह कभी कहा जाता है कि वह उत्तराखंड पर राज कर रही उस अहंकारी ब्यूरोक्रैट क्लब के मेंबर है जो उत्तराखंड के मंत्रियों और विधायकों को अपने मातहत मानती है। यह चैकड़ी इक्का दुक्का विधायकों को छोड़कर विधायकों और मंत्रियों के फोन उठाना अपनी तौहीन मानती है। इस चैकड़ी में लगभग सभी नौकरशाह प्रमुख सचिव स्तर के तो हैं ही साथ ये सभी कभी न कभी किसी न किसी मुख्यमंत्री के मंुहलगे रहे हैं।
लेकिन मंत्रियों और विधायकों को अपने ठेंगे पर रखने वाले कोटिया इस बार बुरे फंसे। हरक सिंह रावत उनको लेकर पहले मुख्यमंत्री पर इतने बरसे कि सारे मंत्री सन्न रह गए। हरक सिंह के इस रुप को देखकर सारी कैबिलनेट को सांप सूंघ गया। पुरी बैठक में सन्नाटा छा गया। किसी को समझ में नहीं आया कि कैसे हरक सिंह रावत के मुंह से निकल रहे धारा प्रवाह वचनों को रोके। मुख्यमंत्री पर अपना सारा गुस्सा उतार देने के बाद हरक सिंह रावत ने दिलीप कुमार कोटिया पर हल्ला बोल दिया। कोटिया के लिए जितने संसदीय और असंसदीय बिशेषण लगाए गए उससे मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के पुरखे भी हक्के बक्के हो गए होंगे। पहली बार किसी सीनियर ब्यूरोक्रेट की कैबिनेट की बैठक में इतनी दुर्गति ही नहीं हुई बल्कि अपमानजनक हालात भी ण्ेलने पड़े। हरक सिंह रावत के इस हमले की गूंज आज दिन भर सचिवालय के गलियारों में गूंजती रही। हर दफ्तर में हरक सिंह चर्चा का विषय बने रहे। मंत्रिमंडल की बैठक के मछली बाजार में बदल जाने की इस घटना को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। सचिवालय में बैठे नौकरशाहों में हरक सिंह रावत का खौफ साफ-साफ देखा जा सकता था। साफ लग रहा था कि कोटिया पर हमला कर हरक सिंह रावत अब नौकरशाही के भीतर एक समांतर सत्ता केंद्र के रुप में उभर रहे हैं। कोटिया प्रकरण के जरिये हरक सिंह रावत ने यह संदेश भी दे दिया कि यदि किसी अफसर ने उनकी उपेक्षा करने की जुर्रत तो उसकी खैर नही।
गौरतलब है कि इससे पहले कृषिमंत्री हरक सिंह रावत अपने मातहत प्रमुख सचिव कृषि ओम प्रकाश की भी क्लास ले चुके हैं। ओम प्रकाश को सचिवालय के सबसे टेढ़े नौकरशाह के रुप में माना जाता है। वह भी मंत्रियों को ठेंगे पर रखने के कायल नौकरशाहों में माने जाते हैं। बताया जाता है कि कृषिमंत्री के एक आदेश को इन साहब ने अनदेखा कर दिया। जब मंत्री ने उन पर अपना आदेश पालन करने का दबाव बनाया तो ओमप्रकाश ने प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने की धमकी दे डाली। बस फिर क्या था। हरक सिंह रावत ने ओमप्रकाश की इस कदर दुर्गति की िकवह बस सर-सर ही कहते रह गए। फोन पर दूसरी ओर से जो धारप्रवाह अमृत वचनों की बाढ़ शुरु हुई फिर रुकी ही नहीं। अभी ओमप्रकाश पर फूटे हरक सिंह रावत के गुस्से की चर्चा थमी भी नहीं थी कि आज कोटिया हरकसिंह की सुनामी के चक्रवात में फंस गए।
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