मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

BJP leader Sushma Swaraj glorifies the main exploiters of Indian farmers


         सुषमा स्वराज का झूठ और थोक बाजार का सच
By Rajen Todariya
भाजपा की नेता सुषमा स्वराज गजब की नेता हैं। वे जब भी बोलने के लिए खड़ी होती हैं तो मेरे दिमाग में राजघाट पर ठुमके लगाती उनकी छवि और गांधीजी के मुंह से निकला,‘‘ हे राम!’’ एक साथ एक ही फ्रेम में सामने आ जाते हैं। वे सफेद झूठ को भी इतने आत्मविश्वास से बोल सकती हैं कि एकबारगी सुनने वाले को लगता है कि वो सच ही बोल रही हैं। वे भाषा और शब्दों के भीतर कातिल छुरियों को छुपाने की विद्या में नरेंद्र मोदी की तरह ही प्रवीण हैं। सुषमा स्वराज नहीं होती तो क्या होता? भाजपा का क्या होता यह तो नहीं पता पर यह अज्ञानी देश कभी नहीं जान पाता कि भारत के आढ़त बाजारों या थोक व्यापार में देश के सर्वाधिक संतपुरुष बैठे हुए हैं। 

लोकसभा में सुषमा स्वराज की अमर वाणी में बताया गया कि आढ़तियों और भारत के किसानों का सदियों का रिश्ता है। आढ़ती किसानों को सर्वाधिक अच्छी तरह से जानते हैं। जब किसान की बेटी की शादी के लिए पैसे नहीं होते तब कौन आगे आता है- आढ़ती! जब किसान बीमार पड़ता है तब उसके इलाज के लिए कौन पैसे देता है-आढ़ती! जब किसान को बुआई के लिए पैसे चाहिए होते हैं तब कौन उसे कर्ज देता है-आढ़ती! जब किसान फाका करता है तब उसे कौन पैसे देता है- आढ़ती! सुषमा स्वराज की मानें तो ढ़ेर सारे संवेदनशील लोगों, मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत आत्माओं,, सारे दयालु और कृपालु टाइप के सज्जनों, संतों और महात्माओं से एक साथ थोक में मिलने का एक ही पता है कि आप अपने शहर के आढ़त बाजार में जांय और वहां आपको शहर की लगभग सारी महान आत्मायें दकानों में विराजमान मिल जायेंगी। आप चाहें तो इन आढ़ती नाम के दुर्लाभ प्राणियों की चरणों की धूल लेकर भी आ सकते है। सुषमा स्वराज की तरह इससे आपका जीवन भी धन्य हो जाएगा। भारत के आढ़तियों को भी आज ही पता चला होगा कि उनके भीतर इतनी महान और दयालु आत्मायें वास कर रही हैं। लेकिन इस भाषण में एक बात और है जिस पर आपने गौर नहीं किया होगा। सुषमा स्वराज से किसी ने नहीं पूछा कि जब इस किसान के पास लड़की की शादी के पैसे नहीं,खाने के लिए,इलाज के लिए पैसे नहीं तब इसकी मेहनत के पैसे कौन उडा़ता है? ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि आढ़ती के पास बेटी की शादी या इलाज या खाने के लिए पैसे न हों। आखिर किसान के पास ही क्यों पैसे नहीं होते? जो उत्पादन करता है वो गरीब है जो उसका उत्पादन बेचता है वो साहूकार कैसे होता है? सुषमा स्वराज ने यह भी नहीं बताया कि आढ़तियों की अट्टालिकाओं के नीचे जो कंकाल दबे हैं वो किसके हैं? सुषमा स्वराज ने यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का वह समीकरण नहीं बताया जिसके चलते आढ़ती मालामाल और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किरोड़ीमल गेंदामल और उसकी संतानें यदि भारत के किसान को कर्ज में ही डुबोती रही हंै और वे भारत के किसानों को आत्महत्या की ही सौगात दे सकी हैं तो एक बार क्यों नहीं अमेरिकी वालमार्ट को भी देख लिया जाय। यदि उससे लाभ नहीं हुआ तो उसे भी भगा देंगे। भारत की जनता को कौन रोक सकता है? जिन फटेहाल लोगों ने दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य को भगा दिया था वे वालमार्ट को क्यों नहीं भगा सकते? क्या सुषमा स्वराज को भारत की जनता की ताकत में यकीन नहीं है? सुषमा स्वराज जिन रक्त जोंकों और अंगुलीमालों को संत के रुप में पेश कर रही हैं वो सबसे बड़ा और बेशर्म झूठ है।समय की मांग यह है कि 21 वीं सदी के भारतीय उपभोक्ता और किसान पर जोंक की तरह चिपके किरोड़ीमल गेंदामल से छुटकारा चाहिए। वो वालमार्ट से मिले या किसी और रास्ते से। बत्तीस रुपए की चीज को 100 रुपये में बेचकर 68 प्रतिशत मुनाफाखोरी करने वाले बाजार का विनाश जरुरी है। इस मुनाफाखोर और मिलावटखोर अपराधिक बाजार को नष्ट कर उपभोक्ता और किसान को थोड़ा बहुत राहत देना वाला बाजार तो दिया जा सकता है। आढ़त बाजार भारत में लूट के सबसे बड़े अड्डे हैं। इन अड्डों को नेस्तनाबूद किया जाना चाहिए। यदि कोई विदेशी भी इस काम को कर सकता है तो उसका भी स्वागत है।
लोकसभा की कार्रवाई में दर्ज सुषमा स्वराज का यह भाषण यह जरुर साबित करता रहेगा कि भाजपा का अर्थ भारतीय जनता पार्टी नहीं है बल्कि इसका अर्थ बिचैलिया जन पार्टी है। भाजपा आज भी साठ के दशक के जनसंघ की उस नाभिनाल से जुड़ी हुई है जिसे पूरा देश बनियों की पार्टी के रुप में जानता था। इसीलिए मिलावट खोरी, अनुचित मूल्य,मुनाफाखोरी को रोकने के लिए बनाया गया आवश्यक वस्तुअधिनियम भाजपा ने ही खत्म कराया। ज्यादा से ज्यादा मध्यवर्ग को लालाओं के चंगुल में फंसाने के लिए ही भाजपा नीत एनडीए सरकार ने एपीएल बनाकर उन्हे सस्ते खाद्यान्न की सुविधा से वंचित करा दिया।

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