अमर उजाला और ईटीवी के पहाड़ विरोधी एजेंडे का विरोध करें
अमर उजाला और ईटीवी दो ऐसे मीडिया घराने हैं जिन्होने पहाड़ के लोगों को देहरादून से पूरी तरह से बाहर कर दिया है। अब इन दोनो में अब गिने-चुने पहाड़ी है। पहाड़ियों की नस्ल को जड़ से खत्म करने के मैदानी अभियान का नेतृत्व इन्ही दो मीडिया घरानों के हाथ में है। हालांकि हर उद्योग में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को भर्ती करने का प्रावधान है लेकिन राज्य सरकार की हिम्मत नहीं है कि वह इस प्रावधान को इन दोनों में लागू करवा सके। एजेंडा मात्र इतना ही नहीं है बल्कि इलाहाबाद,बनारस,बिहार,यूपी से आए भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने में भी यही दो सबसे आगे हैं। क्या मजाल है कि अमर उजाला या ईटीवी में ओपन विवि,तकनीकी विवि समेत गैर पहाड़ी कुलपतियों के खिलाफ कभी एक खबर छपी हो। पहाड़ के लोग इतने भोले हैं कि उन्होने इन दोनों अभी भी अपने गले से लगा रखा है। उत्तराखंड जनमंच ने संकल्प लिया है कि वह पहाड़ी विरोधी मीडिया के खिलाफ लोगों को जागरुक कर इनका आर्थिक बहिष्कार की मुहिम जारी रखेगा। यदि आप पहाड़ी हैं तो इन दोनों की खरीद न करें,इन्हे विज्ञापन न दें। जो नेता इन्हे विज्ञापन दे उसका राजनीतिक सामाजिक बहिष्कार करें,उसे और उसके समर्थकों को चुनाव में हरायें। जो विभाग इन्हे विज्ञापन दे उसके भ्रष्ट कारनामें मीडिया में छपवायें। मीडिया न छापे तो छोटे अखबारों और पहाड़ की पत्रिकाओं में छपवायें। ऐसे अफसरों की सूची तैयार करें और उनके खिलाफ हल्ला बोल अभियान छेड़ें। ऐसे अफसरों के भ्रष्टाचार के कारनामें या तो हमें भेजें या फिर अपने स्तर पर ऐसे पहाड़ विरोधी अफसरों के खिलाफ पर्चा-पोस्टर बांटकर जनता में बंटवायें । इसके साथ ही उत्तराखंड जनमंच ने तय किया है कि वह छोटे अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं को सूचना विभाग के कुल बजट का पचास प्रतिशत हिस्सा दिलाने के लिए सूचना महानिदेशक का घेराव करेगा। इन दोनों के पक्षधर सूचना विभाग के अफसरों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। इन दोनो को पिछले बारह सालों में मिले सरकारी पैसे का पूरा ब्यौरा जनता के लिए जारी किया जाएगा । ऐसा नहीं है कि पहाड़ के लोग पहाड़ विरोधी मीडिया का मुकाबला नहीं कर सकते। यदि मीडिया के भ्रष्टाचार का खुलासा किया जाय और आर्थिक बहिष्कार लागू हो जाय तो हर अखबार और चैनल को स्थानीय जनता के प्रति निष्ठावान होना पड़ेगा। उत्तराखंड सरकार ने यदि अमर उजाला और ईटीवी के देहरादून कार्यालयों में स्थानीय लोगों को सत्तर प्रतिशत नौकरियां दिलाने को लेकर कार्रवाई नहीं की तो उ त्तराखंउ जनमंच राज्य सरकार के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाएगा। टिहरी उपचुनाव में भी इस मुद्दे पर पहाड़ की जनता को जागरुक किया जाएगा।
अमर उजाला ही नहीं कई और भी समाचार पत्र हैं प्रदेश की जनता का बौद्धिक एवं आर्थिक शोषण करने में लगे हैं.सत्ता पक्ष ने इन्हें विज्ञापनों का लालच देकर अपने पक्ष में कर जनता को वास्तविकता से दूर कर रहा है.इनके समाचारों में निष्पक्षता का घोर अभाव है. दूसरी तरफ ये समाचार पत्र अपने पाठकों का भी आर्थिक शोषण भी कर रहा है.अब सबको पता है कि प्रदेश से एक रुपये से नीचे के सिक्के गायब हो चुके हैं.फिर भी इन्होंने अखबार का मूल्य ३.५० पैसे कर रखा है जिसे होकर ४ रुपये में देता है इस तरह लाखों प्रतियों की बिक्री से पाठकों को लाखों का चूना लगता है. ये लूट कब तक जारी रहेगी पता नहीं ?
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