सोमवार, 23 अप्रैल 2012

Uttrakhand Janmanch calls for a Agitation against Hindu Religious leaders

 बद्रीनाथ राजमार्ग पर 29 अप्रैल को दो घंटे का सांकेतिक चक्का जाम


पनबिजली समर्थक संगठनों ने किया आंदोलन का ऐलान


        कौड़िया में शंकराचार्य समेत


        बिजली विरोधी संतों का घेराव करेंगे

Uttrakhand Janmanch's Secretary General Rajen Todariya addressing Jal Adhikar Convention held at RULEK auditorium, Dehradun 
उत्तराखंड जनमंच के जल अधिकार सम्मेलन में शामिल संगठनों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है यदि 28 अप्रैल तक विष्णुगाड-पीपलकोटी, लोहारीनाग पाला,पाला मनेरी और भैंरों घाटी पन बिजली परियोजनाओं पर निर्माण कार्य कराने के आदेश जारी नहीं किए गए तो बद्रीनाथ के कपाट खुलने के दिन 29 अप्रैल को बद्रीनाथ राजमार्ग पर पीपलकोटी के समीप दो घंटे का सांकेतिक चक्का जाम किया जाएगा और इसी दिन बद्रीनाथ दर्शन को पहुंच रहे शंकराचार्य समेत परियोजना विरोधी संतों का बद्रीनाथ राजमार्ग पर कौड़िया में घेराव किया जाएगा। जल अधिकार सम्मेलन में शामिल अन्य प्रस्तावों मेें परियोजना प्रीाावितों और विस्थापितों की समस्यायें सुलझाने के लिए एक अर्द्ध न्यायिक आयोग गठित करने और टिहरी बांध विस्थापितों के कल्याण के लिए आठ सौ करोड़ रुपयेकी शुरुआती धनराशि से कल्याण कोष स्थापित करने की मांग की है। 

जनमंच द्वारा आहूत सम्मेलन की शुरूआत करते हुए प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता एवं पद्मश्री श्री अवधेश कौशल ने गंगा की स्वच्छता के नाम पर परियोजनाओं का विरोध करने वाले संतों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ऋषिकेश और हरिद्वार में अपने आश्रमों के जरिये गंगा को प्रदूषित और अतिक्रमण करने वाले साधु-संतों को गेगा की पवित्रता की बात करने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर्फ धार्मिक आस्थाओं के नाम पर उत्तराखंड के लोगों के हितों की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती। पूर्व विधायक मुन्ना सिंह चैहान ने कहा कि जो लोग अंध पर्यावरणवाद के नाम पर पनबिजली परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं वे मानव सभ्यता को आदिम काल में धकेलने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण भी आवश्यक हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि योजनाऐं और नीति जैसे भी बने उसके केंद्र में जनता और जनहित होना चाहिए। 
सम्मेलन के आयोजक व जनमंच के मुख्य महासचिव श्री राजेन टोडरिया ने कहा कि पानी पर उत्तराखंड के लोगों का हक है वही तय करेंगे कि पनबिजली प्रोजेक्ट बनें या न बनें। उत्तराखण्ड के पास जल ही ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिस पर राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ विदेशी और बाहरी तत्वों के खिलाफत के आधार पर परियोजनाओं का निर्माण बंद नहीं किया जाना चाहिए बल्कि राज्य के व्यापक हित में जल संसाधन का भरपूर उपयोग किया जाना चहिए।उन्होने कहा कि विदेशी पैसों के बूते राज्य के हितों का विरोध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे तत्वों के खिलाफ सीधी कार्रवाई होगी।
प्रख्यात हिंदी कवि पद््मश्री श्री लीलाधर जगूड़ी ने भी कहा कि सिर्फ धार्मिक आस्थाओं को विरोध का आधार बनाकर बिजली परियोजनाओं को रोका जाना उचित नहीं हैं। विकास आम आदमी के लिए हैं। उन्होंने कहा कि विकास की नीति एवं योजनाऐं ऐसी बननी चाहिए जिससे विकास भी अवरूद्ध न हो और प्राकृतिक प्रकृति को भी नुकसान न पहुंचे। उन्होने कहा कि जो धार्मिक आधार पर पनबिजली प्रोजेक्टों का विरोध कर रहे हैं वे न धर्म को समझते हैं और न समाज को।
इसके अलावा प्रख्यात वामपंथी नेता श्री बच्चीराम कौसवाल ने कहा कि लोहारीनाग पाला,पाला-मनेरी, और भैरोंघाटी प्रोजेक्ट तत्काल शुरु किए जांय। वरिष्ठ राजनेता वनमाली प्रसाद पैंन्यूली, पीपलकोटी से आए बंड विकास समिति के संरक्षक गजेंद्र सिंह राणा ने कहा कि यदि विष्णुगाड-पीपलकोटी प्रोजेक्ट बंद किए गए तो ग्रामीण सामूहिक आत्मदाह करेंगे। देवेन्द्र नौडियाल एवं शिवानंद पाण्डे ने भी गोष्ठी में अपने विचार रखे। गोष्ठी में उद्योगों के प्रतिनिधि के रुप में मौजूद उद्योगपति मृणाल डोभाल, स्टेट बैंक कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय महामंत्री बीपी ममगांई, एलआर कोठियाल, सेनि अधीक्षण अभियंता प्रमोद काला , आदित्य चंद्र बडूनी, अरूण डिमरी, तरूण बाबा, पंकज क्षेत्री, रघुवीर सिंह नेगी,संजय चैहान, मनमीत,गौरव असवाल, टिहरी विस्थापित समिति के जनार्दन खंडूड़ी, शशिधर असवाल, डंगवाल, गोवर्द्धन चंदेल आदि समेत अनेक लोग उपस्थित थे।

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