शांतिभूषण के बहाने टीम अन्ना का असली चेहरा
राजेन टोडरिया
टीम अन्ना के सेनापति और उसके विधिक स्तंभ श्रीमान प्रशांत भूषण के पिताश्री देश में ईमानदारी के ध्वजवाहक 10008 श्री श्री श्री शांतिभूषण साहब को अदालत ने एक करोड़ रु0 से ज्यादा के स्टांप घोटाले का दोषी पाया है। श्री शांति भूषण ने इलाहाबाद के सिविल लाइंस इलाके में एक मकान खरीदा जिसकी कीमत उन्होने सरकार को मात्र एक लाख बताई और इसी दर के हिसाब से स्टांप शुल्क चुकाया। आज के जमाने में 8000 वर्ग गज से ज्यादा के शानदार कंपाउंड में एक आलीशान कोठी की कीमत यदि शांति भूषण ने मात्र एक लाख में खरीदी है तो कई लोग हैं जो इस कोठी की कीमत दुगना या चैगुना देने को तैयार हैं। क्या शांतिभूषण और उनके वकील पुत्र प्रशांत भूषण इस देश के लोगों को इतना बेवकूफ समझते हैं कि इस सौदे पर यकीन कर लेंगे? दरअसल इस कोठी के मालिक को इन दोनो वकील पिता-पुत्र से आंतंकित होकर यह कोठी उन्हे बेचनी पड़ी। आज इस कोठी की कीमत 26 करोड़ रु0 से अधिक है। जिस पर एक करोड़ से ज्यादा की स्टांप फीस बनती है। टीम अन्ना के तीसरे और चैथे सबसे बड़े ईमानदार चेहरे पर से भी आखिरकार नकाब हट गया है। प्रशांत भूषण सरकारी साजिशों की बात अक्सर करते हैं पर उनके पिता किस तरह से लोगों की संपत्ति बड़े वकील होने के नाते हड़पते रहीे हैं,यह उसका उदाहरण है। इन दोनों पिता-पुत्र के पास आज सौ करोड़ रु0 से भी ज्यादा की संपत्ति है। क्या एक ईमानदार और सच्चाई के साथ वकालत करने वाला वकील केवल प्रैक्टिस से सौ करोड़ रु0 कमा सकता है? हमने राजेंद्र कोटियाल से लेकर जस्टिस घिल्डियाल तक हजारों ऐसे वकील देखे हैं जिन्होने पूरी जिंदगी ईमानदारी और सच्चाई के साथ प्रैक्टिस की और फाकाकशी करते रहे।
ठस देश का दुर्भाग्य यह है कि जिन बेईमानों के खिलाफ लड़ाई होनी है वे ही ईमानदारी के सबसे बड़े ध्वजवाहक बने हुए हैं। दो-दो एनजीओ चलाने के बावजूद वीरता पुरस्कार की रियायत में भी घपले करने वाली किरण बेदी, सरकारी वेतन जमा न करने पर आमादा अरविंद केजरीवाल समेत वे सारे लोग जो विदेशों और कारपोरेट के पैसों सेएनजीओ चला रहे हैं। ये सारे सज्जन भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। अरबों रुपए चुनाव में खच करने वाले कांग्रेस,भाजपा समेत सारे दल और नेता भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। टाटा,अंबानी, बजाज समेत सारे कारपोरेट घराने भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। सारे न्यूज चैनल, बड़े अखबार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। मैं हैरत में हूं कि जब ये सारे बड़े और ताकतवर लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं तब इस देश में भ्रष्टाचार कौन कर रहा है। मुझे लगता है कि इस देश में भ्रष्टाचार फैलाने के लिए मैं दोषी हूं। अन्ना हजारे चाहें तो मुझे चैराहे पर फांसी पर चढ़ा दें। क्योंकि शांतिभूषण,प्रशांत भूषण अरविंद केजरीवाल, किरन बेदी ये सारे देश के बड़े और इलीट लोग हैं,इन्हे फांसी पर चढ़ाना शायद ठीक नहीं होगा। इसलिए मुझ जैसे किसी आम आदमी को पकड़कर देश में भ्रष्टाचार फैलाने के जुर्म में फांसी पर चढ़ा दिया जाय। ‘‘अंधेर नगरी चैपट राजा, टका सेर भाजी,टका सेर खाजा’’
कल्पना की जिए कि यदि दिग्विजय सिंह या राहुल गांधी या उमा भारती, मुलायम सिंह, लालू यादव जैसे किसी बड़े नंेता या किसी बड़े अफसर को किसी का मकान हथिया कर एक लाख में खरीदने और एक करोड़ की टैक्स चोरी करने के लिए दोषी ठहराया जाता तो पूरे देश में न्यूज चैनल कितना कोहराम मचा देते। सारे चैनलों के एंकर चीख-चीख कर बेईमान,टैक्स चोर समेत अपनी पत्रकारीय डिक्शनरी की सर्वश्रेष्ठ गालियों के साथ प्राइम टाइम डिबेट में हाजिर होते। लेकिन चूंकि मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के सेनापति का था इसलिए एक छोटी सी खबर में पूरा मामला निपटा दिया गया। जबकि लखनऊ के एक अखबार ने छह महीने पहले ही इस खबर को बे्रक कर दिया था पर तब इन्ही चैनलों ने इसे कांग्रेसी साजिश कहकर रफा-दफा कर दिया था। यह है पत्रकारिता! थ्कसी चैनल वाले ने यह नहीं कहा कि इस फैसले के बाद शांतिभूषण-प्रशांतभूषण को इंडिया अंगेस्ट करप्सन से हट जाना चाहिए और न इन दोनो पिता-पुत्र में इतनी नैतिकता बची है कि ये दोनो खुद ही इस आंदोलन से हट जांय। क्योंकि इनकी निष्ठा आंदोलन पर कम अपने पर ज्यादा है। हम सलामत रहें,आंदोलन जाए भाड़ में! ऐसी ही बेशर्मी किरण बेदी ने दिखाई और अब इनकी बारी है। अफसोस तो यह है कि अन्ना हजारे भी भीष्म पितामह बनकर चुपचाप यह सब देख रहे हैं। आंदोलन सिर्फ नारों और अभ्वी डिबेटों में वाचाल होने से महान नहीं होते। यदि वे नैतिकता की जमीन पर खड़े नहीं होते तो जनता उनको खारिज कर देती है। बेहतर हो कि आरोपों से घिरे अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, शांतिभूषण और प्रशांत भूषण भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हटें और उसे नैतिक जमीन पर खड़ा होने दें।
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