बुधवार, 8 अगस्त 2012

Chief Minister advised flood victims for singing Bhajan


     बाढ़ पीड़ितों को मुख्यमंत्री की नायाब सलाह 

          भजन करो ताकि  बादल न फटें 



उत्तराखंड में वास्तव में देवभूमि है। यहां के नेता भी इतने दिव्य हैं कि लगता ही नहीं कि आप नेताओं को सुन रहे हैं। लगता है जैसे आप मुरारी बापू की रामकथा का अरण्य कांड सुन रहे हैं। अभी तक प्रवचन के क्षेत्र में सतपाल महाराज जी का एकाधिपत्य ही था। पिछले दिनों हरीश रावत जी ने गगंा महात्म्य सुनाना शुरु कर दिया। कहने लगे कि हे वत्स! बिजली व्यर्थ है, सारे विकारों की जननी है, वासनाओं को पैदा करती है। इसका उपयोग नेताओं,संतों और पर्यावरण ज्ञान रखने वाले महर्षियों जैसे जितेंद्रियों के अलावा अन्य सांसारिक प्राणियों यानी गृहस्थ को नहीं करना चाहिए। बिजली के उपयोग से गृहस्थ लोग भोग के चक्कर में फंस जाते हैं। रावतजी के इन प्रवचनों का एक जमाने में माक्र्स लेनिन और माओं को पढ़ने वाले प्रदीप टम्टा पर इतना गहरा हुआ कि उन्होने गंगाजी की आरती शुरु कर दी। अब वह स्नान करने से पहले आचमन में बाथरुम का पानी लेते हैं और ‘ गंगे च यमुने चैव’ ---- श्लोक से जल अभिमंत्रित करने के बाद ही पहला लोटा पानी का डालते हैं। अब ले दे कर विजय बहुगुणा ही एकमात्र ऐसे नेता बचे रह गए थे जो धर्मोपदेश नहीं दे रहे थे। लेकिन उन्होने भी साक्षात मुरारी बापू का रुप धारण कर लिया। वह विश्वनाथ की नगरी पहंचे और उनको दिव्यज्ञान प्राप्त हो गया। इधर देहरादून में नौकरशाह और चमचे मिलकर दिव्य ज्ञान का लाभ नहीं होने देते।उत्तरकाशी में उनके श्रीमुख से कलियुग की गीता फूट पड़ी, ‘‘ भजन करो ! ताकि बादल न फटे।’’ 21 वीं सदी के दूसरे दशक में क्लाउड बस्र्ट से बचने का यह नायाब उपाय है। बेचारे पहाड़ के लोग पिछले तीन हजार सालों से प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए भजन ही तो करते रहे हैं। मैं सोचता हूं कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह आपदा प्रबंधन विभाग में कुछ पेश्ेावर भजन मंडलियों की नियुक्ति करे और इन भजन मंडलियों को बरसात आने से पहले भगीरथी,अलकनंदा, काली नदी,सरयू समेत उत्तराखंड की सभी नदियों और गाड़-गधेरों के जलग्रहण क्षेत्रों में तैनात कर दिया जाय। सभी को हवन सामग्री भी मुहैया करा दी जाय और उन्हे लाउड स्पीकर इत्यादि ध्वनि विस्तारक यंत्रों की अत्याधुनिक तकनीक से भी सुसज्जित कर दिया जाय। ताकि जब ये भजन मंडलियां भजन गाये ंतो इनकी आवाज डाइरेक्ट भगवान तक पहुंच सके और ये लोग ईश्वर का ध्यानकर्षण करने में कामयाब हो सकें। सरकार चाहे तो इसमें भाजपा की सहायता भी ले सकती है। क्योंकि उनके पास पेशेवर भजनलाल भी हैं और उन्हे भजनलीलाओं का सबसे बेहतरीन अनुभव है। रामदेव की संगत में तो वह पालिटिकल पार्टी कम रामदेव और बालकृष्ण की भजनमंडली ज्यादा लगती है।

मैं तो आपदा प्रबंधन की इस नई तकनीक से मंत्रमुग्ध और अवाक हूं। यह अद्भुत, दिव्य है। मैं जल्द ही मुख्यसचिव और राज्यपाल से अनुरोध करने जा रहा हूं कि बादलों को फटने से रोकने के लिए इस भजन तकनीक को तत्काल उत्तराखंड सरकार पेटेंट करा ले। अमेरिकियों का कोई भरोसा नहीं, कहीं ऐसा न हो कि कोई अमरीकी कंपनी इसे अपने नाम से पेटेंट करा ले और हमारी तकनीक हमें ही बेचने लगे। चीन वाले भी उस्ताद हैं वे भी इस तकनीक का कोई उपकरण बनाकर उस पर मेड इन चायना का ठप्पा लगाकर इंडियन मार्केट में उतार सकते हैं। मैने इस नायाब तकनीक पर काफी रिसर्च कर लिया है। सरकार चाहे तो मुझे इसके लिए मुख्यमंत्री का सलाहकार का पद मय लालबत्ती के आफर कर सकती है। मैं उनको यकीन दिलाता हूं कि मैं इस आफर का बुरा नहीं मानूंगा और बिना सोचे समझे इसे लपक लूंगा। मेरे शोध से पता चला है कि भजन गाने से जो ध्वनि तरंगे निकलती हैं उनसे बादल कन्फ्यूज हो जाते हैं। वरुण देवता ने उन्हे जिस इलाके में फटने के लिए प्रोग्राम्ड किया होता है वह प्रोग्रामिंग गड़़बड़ा जाती है। मेरे अध्ययन से यह भी पता चलता है कि भजन संगीत से बादल सम्मोहित अवस्था में पहंुच जाते हैं। इससे आप उनको किसी इलाका विशेष की जरुरत के हिसाब से बरसने के लिए मजबूर कर सकते हैं। आप चाहें तो अपने यहां के बादल को पड़ोसी चीन में जाकर बरसने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं। यह अचूक अस्त्र है। उत्तरकाशी में फौरन भजन मंडलियां भेजी जांय और उनका नेतृत्व प्रतिपक्ष के नेता को दे दिया जाय। यदि भजन मंडलियां नाकाम रहीं तो भाजपा वाले प्रतिपक्ष के नेता को निपटा देंगे यदि भजन टेक्नालाॅजी कामयाब रही तो मुख्यमंत्री की वाह-वाह! और कांग्रेस के दोनों हाथों में लड्डू ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें