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कैमरे पर पकड़े गए निशंक
रामदेव और भाजपा की मिलीभगत के सबूत
By Rajen Todariya
देश और अपने भक्तों को बाबा रामदेव ने किस तरह से अंधेरे में रखा यह अब छुपा हुआ तथ्य नहीं रहा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का जो नवीनतम स्टिंग आपरेशन सामने आया है उससे यह साफ हो गया है कि बाबा के अनशन के ड्रामे की पटकथा दरअसल आरएसएस, भाजपा और रामदेव के बीच बनी आपसी सहमति के बाद लिखी गई। केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल माह में हरिद्वार मूें हुई एक गोपनीय बैठक में इस अनशन का पूरा तानाबाना बुना गया। इसमें आरएसएस के कुछ बड़े नेता भी मौजूद थे। इसकी पुष्टि बीते दिन निशंक का ताजा वीडियो मिलने से हो गई है। इस वीडियो में निशंक भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को बाबा रामदेव के अनशन को तोड़ने के बारे में अपडेट कर रहे हैं। इसमें वह कह रहे हैं कि बाबा से उनकी बात बीती रात को हो गई है और वह आज सुबह तक अनशन तोड़ देंगे। साफ है कि जब देश भर का मीडिया अनशन पर खबर कर रहा था तब ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और बाबा रामदेव ने अनशन तोड़ने के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया था। इसी के तहत रविशंकर को बुलाया गया था। बताया जाता है कि रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग को जमीन देकर निशंक अब रविशंकर के करीबियों की सूची में हैं। सूत्रों ने बताया कि मीडिया में अनशन को दिन भर की कवरेज दिलाने की नीयत से ही शनिवार की सुबह अनशन तोड़ने का निर्णय लिया गया। शुक्रवार की शाम को ही इसकी पूरी तैयारी कर दी गई थीं। खुफिया विभाग के सूत्रों ने अप्रैल माह में हीं आरएसएस और बाबा रामदेव के बीच पक रही खिचड़ी के बारे में केंद्र सरकार को आगाह कर दिया था।बाबा रामदेव और आरएसएस के बीच अन्ना हजारे को किनारे करने के लिए संघ के करीबी बाबा रामदेव को भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का अगुआ बनाने और इसे 1974 और 1989 के आंदोलनों की तर्ज पर चलाने को लेकर अभी तक जो भी बात कही जा रही थी वह आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिए गए फैसले और आईबी की रिपोर्ट के हवाले से की जा रही थी। लेकिन बीते दिन इस पूरी कथित साजिश का वीडियो रिकॉर्ड मिल गया है। यह वीडियो टेप दरअसल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के स्टिंग ऑपरेशन से हासिल किया गया है। इस टेप में वह मोबाइल पर किसी बाबूजी से बात कर रहे हैं और उन्हे रामदेव के अनशन तोड़ने के कार्यक्रम की जानकारी दे रहे हैं।यह बातचीत पिछली 12 जून यानी शनिवार की सुबह रिकॉर्ड की गई है। इसमें वह बता रहे हैं कि बाबा रामदेव से सारी बातचीत हो चुकी है। चूंकि श्री रविशंकर को 12 बजे जाना है इसलिए अनशन तोड़ने का कार्यक्रम 11 बजे का रखा गया है। वह कह रहे है कि बाबा रामदेव के साथ वह बीती रात यानी शुक्रवार की शाम ही अनशन तोड़ने का पूरा प्रोग्राम तय किया जा चुका है। टेप की बातचीत में निशंक बता रहे हैं कि उन्होने इस बारे में पूरी जानकारी दीदी यानी सुषमा स्वराज को भी दे दी है। वह भाजपा के बाबूजी को यह भी बता रहे हैं कि मौसम खराब होने के कारण अनशन तोड़ते समय उपस्थित नहीं रह पायेंगे। पर दूसरी ओर से बात कर रहे बाबूजी उन पर अनशन तोड़ने के वक्त मौजूद रहने के लिए जोर डाल रहे हैं। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक निशंक लालकृष्ण आडवाणी को बाबूजी कहकर बुलाते है।। दरअसल वह आडवाणी से बात कर रहे थे और उन्हे रामदेव से हो रही बातचीत से हर वक्त अवगत करा रहे थे। इस बातचीत से इतना साफ हो गया है कि अनशन के इस नाटक के एक अहम किरदार भाजपाई दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी भी थे। काले धन को लेकर चुनाव में जो शोर आडवाणी ने मचाया उसके बुरी तरह से फ्लॉप हो जाने से निराश आडवाणी ने रामदेव के जरिये इस मुहिम को आगे खुफिया एजेंसी आईबी ने अर्पैल माह में ही इसकी जानकारी भारत सरकार को दे दी थी। आईबी के करीबी सूत्रों के अनुसार हरिद्वार में हुई बैठक में एनडीए के कार्यकाल में आईबी के एक पूर्व प्रमुख रहे एक कट्टर हिंदूवादी सीनियर आईपीएस अफसर, गोविंदाचार्य और संघ के कुछ वरिष्ठ रणनीतिकार इस बैठक में मौजूद थे। बताया जाता है कि इससे पहले आडवाणी से इस बारे में संघ के नेंताओं की पूरी बातचीत हो चुकी थी औा यह तय कर लिया गया था कि डीएमके द्वारा समर्थन वापस लेने की सूरत पैदा होने से पहले देश भर में एक बड़ा आंदोलन चलाया जाय ताकि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए सरकार को गिराया जा सके ताकि सन् 2014 के बजाय 2012 में ही लोकसभा चुनाव हो सकें। इसके लिए रामदेव को चुना गया और उन्हे एक निश्चित योजना कें तहत अन्ना हजारे के आंदोलन में घुसाया गया। जब अन्ना का आंदोलन लोकप्रिय होने लगा तो उससे रामदेव को बाहर निकाल कर पूरे मुद्दे को कालेधन के उसी मुद्दे पर केंद्रित कर दिया गया जिस पर आडवाणी चुनाव में मात खा चुके थे। कालेधन के इस आंदोलन की चपेट में आने वाले अधिकांश उद्योगपति चूंकि कांग्रेस से जुडे़ हैं, यह सूचना तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी के पास थी इसलिए तय किया गया कि इस बहाने कांग्रेस की चुनावी मशीनरी की आर्थिक रुप से कमर तोड़ दी जाय। यूपीए सरकार ने के पास जो खुफिया जानकारी थी उसमें आशंका व्यक्त की गई थी कि रामदेव का आंदोलन अप्रिय मोड़ भी ले सकता है और यह गोधरा कांड या 1989 के वीपी सिंह आंदोलन की ओर मुड़ सकता है। इस पूरे आंदोलन का निशाना सोनिया गांधी और राहुल गांधी थे और मनमोहन पर कोई प्रहार नहीं किया जाना था। कांग्रेस ने इस रणनीति को विफल करने के लिए रामदेव को पटाने की कोशिश भी की। इसी रणनीति के तहत चार मंत्री उनकी अगवानी के लिए भेजे गए। जब रामदेव आनाकानी करने लगे तो सरकार ने उनके ट्रस्टों और कंपनियों से जुड़ी फाइलें उन्हे दिखाकर दबाव बनाने की कोशिश की । वह दबाव में आ भी गए होते यदि आरएसएस,बीजेपी उन पर दबाव नहीं डालती। रामदेव के अनशन से उठने से इंकार करते ही केंद्र सरकार ने रामलीला ग्राउंड पर हमला बोल दिया। चूंकि उसके पास खुफिया रिपोर्टें थी कि बाबा के समर्थक पुलिस से टकराव नहीं लेंगे और उन पर न्यूनतम बलप्रयोग में ही काबू किया जा सकता है। केवल विहिप,बजरंग दल और आरएसएस,बीजेपी से जुड़े लोगों द्वारा पुलिस प्रतिरोध की आंशका थी जिसके लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले ,लाठीचार्ज समेत सख्त उपाय अपनाने के आदेश दिए गए थे पर सूत्रों का कहना है कि पुलिस को सख्ती से बता दिया गया था कि किसी भी सूरत में वे गोली न चलायें ताकि इस पर कोई वितंडा खड़ा न हो। कांग्रेस की रणनीति यह थी कि किसी तरह वह रामदेव के पीछे दुपे आरएसएस और भाजपा को सड़क पर लाने में कामयाब हो जाय ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि रामदेव दरअसल आरएसएस की कठपुतली है। अपनी इस रणनीति में कांग्रेस कामयाब रही है और अब निशंक ने इसके सबूत के तौर पर अपना वीडियो टेप भी उसके हवाले कर दिया है।
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